Last Updated: 7th November, 2022
नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौन्दर्यरत्नाकरी
निर्धूताखिलघोरपावनकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी।
प्रालेयाचलवंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥१॥
nityānandakarī varābhayakarī saundaryaratnākarī
nirdhūtākhilaghorapāvanakarī pratyakṣamāheśvarī।
prāleyācalavaṃśapāvanakarī kāśīpurādhīśvarī
bhikṣāṃ dehi kṛpāvalambanakarī mātānnapūrṇeśvarī॥1॥
शाश्वत सुख की दाता, जो वरदान देने के साथ-साथ निर्भयता, सौंदर्य के सागर का आश्वासन देती हैं। जो भयानक पापों का नाश कर पवित्रता प्रदान करती हैं, देवी माहेश्वरी का प्रकट रूप। जिन्होंने बर्फ से भरे पहाड़ की वंशावली को शुद्ध किया (हिमवंत - अपनी बेटी, देवी पार्वती के रूप में प्रकट होकर), हे काशी की देवी, कृपया मुझे भिक्षा (भिक्षा दें), हे देवी अन्नपूर्णेश्वरी, जो करुणा द्वारा सहायता प्रदान करती हैं।
The bestower of eternal happiness, who grants boons as well as assuring the fearlessness, the ocean of beauty. The one who can destroy terrible sins and gives purity, the manifested form of Goddess Maheshwari. Who purified the lineage of snow filled mountain (Himavanta – by manifesting as his daughter, Goddess Parvati), O the goddess of the city of Kasi, Please grant me the bhiksha (alms), O’ Goddess Annapurneshwari, who provides the support by compassion.
नानारत्नविचित्रभूषणकरी हेमाम्बराडम्बरी
मुक्ताहारविलम्बमानविलसद्वक्षोजकुम्भान्तरी।
काश्मीरागरुवासिताङ्गरुचिरा काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥२॥
nānāratnavicitrabhūṣaṇakarī hemāmbarāḍambarī
muktāhāravilambamānavilasadvakṣojakumbhāntarī।
kāśmīrāgaruvāsitāṅgarucirā kāśīpurādhīśvarī
bhikṣāṃ dehi kṛpāvalambanakarī mātānnapūrṇeśvarī॥2॥
वह जो बहुमूल्य रत्नों और अद्भुत आभूषणों से सुशोभित है, जो सोने से बने कपड़े पहनती हैं और जो अलंकरण में आनंद लेती है। जो मोतियों से जड़े आभूषणों को पहनती हैं और छाती के बीच में देदीप्यमान और लटकता हुआ दिखता है। जो काशी शहर के अधिष्ठाता देवी, कश्मीर से अगरलकड़ी की सुगंध से उत्कृष्ट रूप से सुगंधित हैं। कृपया मुझे भिक्षा (भिक्षा) प्रदान करें, हे देवी अन्नपूर्णेश्वरी, जो करुणा द्वारा सहायता प्रदान करती हैं।
The one who is adorned with precious gems and wonderful ornaments, who wears clothes made of gold and who takes pleasure in adornment. Who wears the ornaments that are studded with pearls and looks resplendent and hanging in between the bosom. Who smells exquisitely with the scents of Agarwood from Kashmir, The presiding deity of the city of Kasi. Please grant me the bhiksha (alms), O’ Goddess Annapurneshwari, who provides the support by compassion.
योगानन्दकरी रिपुक्षयकरी धर्मार्थनिष्ठाकरी
चन्द्रार्कानलभासमानलहरी त्रैलोक्यरक्षाकरी।
सर्वैश्वर्यसमस्तवाञ्छितकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥३॥
yogānandakarī ripukṣayakarī dharmārthaniṣṭhākarī
candrārkānalabhāsamānalaharī trailokyarakṣākarī।
sarvaiśvaryasamastavāñchitakarī kāśīpurādhīśvarī
bhikṣāṃ dehi kṛpāvalambanakarī mātānnapūrṇeśvarī॥3॥
आप योगीजनों को आनन्द प्रदान करती हैं, आप ही भक्तगणों के शत्रुओं का विनाश करती हैं, आप ही धर्मार्थ साधन में प्रीति बढ़ाती हैं, आपने ही चन्द्र, सूर्य और अग्नि की आभा धारण कर रखी है, आप ही तीनों भुवनों की रक्षा करती हैं, आपके भक्तगण जो इच्छा करते हैं, आप उनको वही सब ऐश्वर्य प्रदान करती हैं। हे माता भगवती अनपुर्णा! आप काशीपुरी की अधीश्वरी देवी और जगत् की माता हैं, कृपा करके मुझको भिक्षा प्रदान करो।
The one who can give the bliss of happiness of yoga (thus to merge in her), destroyer of the enemies, who instils the steadfastness to move us towards the righteousness. Whose brilliance resembles the waves of the sun, moon and fire, the protector of three worlds. The bestower of all the wealths, who can grant all the wishes, the presiding deity of the city of Kasi. Please grant me the bhiksha (alms), O’ Goddess Annapurneshwari, who provides the support by compassion.
कैलासाचलकन्दरालयकरी गौरी उमा शङ्करी
कौमारी निगमार्थगोचरकरी ओङ्कारबीजाक्षरी।
मोक्षद्वारकपाटपाटनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥४॥
kailāsācalakandarālayakarī gaurī umā śaṅkarī
kaumārī nigamārthagocarakarī oṅkārabījākṣarī।
mokṣadvārakapāṭapāṭanakarī kāśīpurādhīśvarī
bhikṣāṃ dehi kṛpāvalambanakarī mātānnapūrṇeśvarī॥4॥
हे अन्नपूर्णे! आपने कैलास पर्वत की कंदरा में अपना निवास स्थापित किया है। हे माता! आप ही गौरी, आप ही उमा और आप ही शंकरी हैं, आप ही कौमारी हैं, वेद के गूढ़ अर्थ को बताने वाली हैं, आप ही बीज मंत्र ओंकार की देवी हैं और आप मोक्ष-द्वार के दरवाजे खोलती हैं, आप काशीपुरी की अधीश्वरी देवी और जगत् की माता हैं। हे जननि भगवती अनपुर्णा! कृपा करके मुझको भिक्षा प्रदान करें।
The one who made her dwelling in the caves of the mountain Kailash, O’ the Goddess Gowri (The white one), Uma (Name of Goddess parvati as called by her mother- Menaka, when performing penance to make God shiva as her husband), Sankari (consort of Sankara). Who is Kaumaari, Who knows the true insights and meaning of Nigamas (Vedic literature), who is the essence of syllable ‘OM’. Who opens the gates of the door of Moksha (to attain liberation), The great deity of the city of Kasi. Please grant me the bhiksha (alms), O’ Goddess Annapurneshwari, who provides the support by compassion.
दृश्यादृश्यविभूतिवाहनकरी ब्रह्माण्डभाण्डोदरी
लीलानाटकसूत्रभेदनकरी विज्ञानदीपाङ्कुरी।
श्रीविश्वेशमनःप्रसादनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥५॥
dṛśyādṛśyavibhūtivāhanakarī brahmāṇḍabhāṇḍodarī
līlānāṭakasūtrabhedanakarī vijñānadīpāṅkurī।
śrīviśveśamanaḥprasādanakarī kāśīpurādhīśvarī
bhikṣāṃ dehi kṛpāvalambanakarī mātānnapūrṇeśvarī॥5॥
हे देवि! आप ही स्थूल और सूक्ष्म-समस्त जीवों को पवित्र करती हैं, यह ब्रह्माण्ड आपके ही उदर में स्थित है, आपकी लीला में सम्पूर्ण जीव अपना-अपना कार्य करते हैं, आप ही ज्ञानरूप प्रदीप का स्वरूप हैं, आप श्री विश्वनाथ का संतोषवर्द्धन करती हैं। हे माता अन्नपूर्णेश्वरी! आप काशीपुरी की अधीश्वरी देवी और जगत् की माता हैं, कृपा करके मुझको भिक्षा प्रदान करो।
The one who acts as the support and pervades all that is visible and invisible, who bears the cosmos in her womb (protecting it). Who pulls the strings of the game of the world created by her, the one lighting the lamp of knowledge (for us) Who creates pleasure and pleases the heart of Sri Vishvesa (Lord of the cosmos -Shiva), the presiding Goddess of the city of Kasi. Please grant me the bhiksha (alms), O’ Goddess Annapurneshwari, who provides the support by compassion.
उर्वीसर्वजनेश्वरी भगवती मातान्नपूर्णेश्वरी
वेणीनीलसमानकुन्तलहरी नित्यान्नदानेश्वरी।
सर्वानन्दकरी सदा शुभकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥६॥
urvīsarvajaneśvarī bhagavatī mātānnapūrṇeśvarī
veṇīnīlasamānakuntalaharī nityānnadāneśvarī।
sarvānandakarī sadā śubhakarī kāśīpurādhīśvarī
bhikṣāṃ dehi kṛpāvalambanakarī mātānnapūrṇeśvarī॥6॥
हे अन्नपूर्णे! आप पृथ्वीमण्डल स्थित जनसमूह की ईश्वरी हैं, आप षडेश्वर्यशालिनी हैं, आप ही जगत् की माता हैं, आप सबको अन्न प्रदान करती हैं। आपके नीलवर्ण केश वेणी रूप से शोभा पाते हैं, आप ही प्राणीगण को नित्य अन्न प्रदान करती हैं और आप ही लोकों को अवस्था की उन्नति प्रदान करती हैं। हे माता! आप ही काशीपुरी की अधीश्वरी देवी और जगत् की माता हैं, कृपा करके मुझको भिक्षा प्रदान करो ।
The divine mother of all the people on Earth, bestower of victory, the merciful one. Whose blue-dark locks of hairs are arranged in braids, who provides the food daily. Who can grant the Moksha (liberation) directly, who always does good for welfare, the great deity of the city of Kasi. Please grant me the bhiksha (alms), O’ Goddess Annapurneshwari, who provides the support by compassion.
आदिक्षान्तसमस्तवर्णनकरी शम्भोस्त्रिभावाकरी
काश्मीरात्रिजलेश्वरी त्रिलहरी नित्याङ्कुरा शर्वरी।
कामाकाङ्क्षकरी जनोदयकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥७॥
ādikṣāntasamastavarṇanakarī śambhostribhāvākarī
kāśmīrātrijaleśvarī trilaharī nityāṅkurā śarvarī।
kāmākāṅkṣakarī janodayakarī kāśīpurādhīśvarī
bhikṣāṃ dehi kṛpāvalambanakarī mātānnapūrṇeśvarī॥7॥
हे देवि अनपुर्णा! लोग तन्त्रविद्या में दीक्षित होकर जो कुछ शिक्षा करते हैं, वह आप ही ने वर्णन करके उपदेश प्रदान किया है। आप ही ने सदाशिव के तीनों भाव (सत्, रज, तम) का विधान किया है, आप ही काश्मीर वासिनी शारदा, अम्बा, भगवती हैं, आप ही स्वर्ग, मृत्यु और पाताल, इन तीनों लोकों में ईश्वरीरूप से विद्यमान हैं। आप गंगा, यमुना और सरस्वती-इन तीन रूपों से पृथ्वी में प्रवाहित हैं, नित्य वस्तु भी सब आप ही से अंकुरित होती है, आप ही शर्वरी (रात्रि) के समान चित्त के सभी व्यापारों को शांत करने वाली हैं, आप ही सकाम भक्तों को इच्छानुसार फल प्रदान करती हैं और आप ही सभी जनों का उन्नति साधन करती हैं। हे जननि! केवल आप ही काशीपुरी की अधीश्वरी देवी और जगत् की माता हैं। हे माता अन्नपूर्णेश्वरी! आप कृपा करके मुझको भिक्षा प्रदान करें।
The goddess who is described and praised with all the letters from ‘Aa’ to ‘Ksha’, The one who can activate the three known aspects of Shiva – Creation, Sustenance and Dissolution. O the saffron coloured one, the consort of Tripurantaka, the three eyed one, goddess of the worlds, the consort of Sharva (Shiva) (I bow to you). The one who asunders the gates of heaven for us, the great deity of the city of Kasi. Please grant me the bhiksha (alms), O’ Goddess Annapurneshwari, who provides the support by compassion.
देवी सर्वविचित्ररत्नरचिता दाक्षायणी सुन्दरी
वामे स्वादुपयोधराप्रियकरी सौभाग्यमाहेश्वरी।
भक्ताभीष्टकरी सदा शुभकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥८॥
devī sarvavicitraratnaracitā dākṣāyaṇī sundarī
vāme svādupayodharāpriyakarī saubhāgyamāheśvarī।
bhaktābhīṣṭakarī sadā śubhakarī kāśīpurādhīśvarī
bhikṣāṃ dehi kṛpāvalambanakarī mātānnapūrṇeśvarī॥8॥
हे देवि! आप सर्व प्रकार के विचित्र रत्नों से विभूषित हुई हैं, आप ही दक्षराज के गृह में पुत्री रूप से प्रकट हुई थीं, आप ही केवल जगत की सुन्दरी हैं, आप ही अपने सुस्वादु पयोधर प्रदान करके जगत् का प्रिय कार्य करती हैं, आप सबको सौभाग्य प्रदान करके महेश्वरी रूप में विदित हुई हैं, आप ही भक्तगणों को वांछित फल प्रदान करती हैं और उनकी बुरी अवस्था को शुभ रूप मे बदल देती हैं। हे माता! केवल आप ही काशीपुरी की अधीश्वरी देवी हैं, आप अन्नपूर्णेश्वरी और जगत् की माता हैं, कृपा करके मुझको भिक्षा प्रदान करें।
O Devi, adorned with wonderful and shining gems, the daughter of Daksha, the beautiful one. The one who holds a bowl that contains delicious milk porridge in her left hand, the affectionate one, the goddess of good fortune, O Maheswari. Who fulfils all the desires of her devotees, giving auspiciousness, the great deity of the city of Kasi. Please grant me the bhiksha (alms), O’ Goddess Annapurneshwari, who provides the support by compassion.
चन्द्रार्कानलकोटिकोटिसदृशा चन्द्रांशुबिम्बाधरी
चन्द्रार्काग्निसमानकुण्डलधरी चन्द्रार्कवर्णेश्वरी।
मालापुस्तकपाशसाङ्कुशधरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥९॥
candrārkānalakoṭikoṭisadṛśā candrāṃśubimbādharī
candrārkāgnisamānakuṇḍaladharī candrārkavarṇeśvarī।
mālāpustakapāśasāṅkuśadharī kāśīpurādhīśvarī
bhikṣāṃ dehi kṛpāvalambanakarī mātānnapūrṇeśvarī॥9॥
हे देवि! आप कोटि-कोटि चन्द्र, सूर्य और अग्नि के समान उज्ज्वल प्रभाशालिनी हैं, आप चन्द्र किरणों के तथा बिम्ब फल के समान अधरों से युक्त हैं, आप ही चन्द्र, सूर्य और अग्नि के समान उज्ज्वल कुण्डलधारिणी हैं, आपने ही चन्द्र, सूर्य के समान वर्ण धारण किया है, हे माता! आप ही चतुर्भुजा हैं, आपने चारों हाथों में माला, पुस्तक, पाश और अंकुश धारण किया है। हे अन्नपूर्णे! आप काशीपुरी की अधीश्वरी देवी और जगत् की माता हो, कृपा करके मुझको भिक्षा प्रदान करें।
The one who shines like millions of suns, moons and fires, whose lips reflects the rays of moon and resemble the bimba fruit (in redness). Who wears earrings that have radiance equal to the sun, moon and fire, the goddess whose complexion glows like the sun and moon. Whose hands contains a rosary, book(scriptures), noose and a goad, the great deity of the city of Kasi. Please grant me the bhiksha (alms), O’ Goddess Annapurneshwari, who provides the support by compassion.
क्षत्रत्राणकरी महाऽभयकरी माता कृपासागरी
साक्षान्मोक्षकरी सदा शिवकरी विश्वेश्वरश्रीधरी।
दक्षाक्रन्दकरी निरामयकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥१०॥
kṣatratrāṇakarī mahā'bhayakarī mātā kṛpāsāgarī
sākṣānmokṣakarī sadā śivakarī viśveśvaraśrīdharī।
dakṣākrandakarī nirāmayakarī kāśīpurādhīśvarī
bhikṣāṃ dehi kṛpāvalambanakarī mātānnapūrṇeśvarī॥10॥
हे माता अन्नपूर्णा! आप क्षत्रियकुल की रक्षा करती हैं, आप सबको अभय प्रदान करती हैं, प्राणियों की माता हैं, आप कृपा का सागर हैं, आप ही भक्तगणों को मोक्ष प्रदान करती हैं, और सर्वदा सभी का कल्याण करती हैं। हे माता, आप ही विश्वेश्वरी हैं, आप ही संपूर्ण श्री को धारण करती हैं, आप ही ने दक्ष का नाश किया है और आप ही भक्तों का रोग नाश करती हैं। हे अन्नपूर्णे! आप ही काशीपुरी की अधीश्वरी और जगत् की माता हैं, कृपा करके मुझको भिक्षा प्रदान करें।
The protectress of the protectors (who takes care of the one work in protecting the society), who is fearsome to the wicked, the ocean of compassion. Who gives happiness to all, always bestowing the auspiciousness, O goddess of the worlds, the repository of wealth. Who made Daksha cry for his sins, who can free us from diseases (illness), the great deity of the city of Kasi. Please grant me the bhiksha (alms), O’ Goddess Annapurneshwari, who provides the support by compassion.
अन्नपूर्णे सदापूर्णे शङ्करप्राणवल्लभे।
ज्ञानवैराग्यसिद्ध्यर्थं भिक्षां देहि च पार्वति॥११॥
annapūrṇe sadāpūrṇe śaṅkaraprāṇavallabhe।
jñānavairāgyasiddhyarthaṃ bhikṣāṃ dehi ca pārvati॥11॥
हे अन्नपूर्णे! आप सर्वदा पूर्ण हैं, आप ही महादेव की प्राणों के समान प्रियपत्नी हैं। हे पार्वति! आप मुझे ज्ञान और वैराग्य की सिद्धि के निमित्त भिक्षा प्रदान करें जिसके द्वारा मैं संसार से प्रीति त्याग कर मुक्ति प्राप्त कर सकूं, मुझको यही भिक्षा प्रदान करें।
O’ Goddess Annapurna, who is always complete in all the sought’s, the lively dear to the Shankara (God Shiva), I request you, my mother, Goddess Parvati, please grant me the alms to gain Knowledge and to attain the renunciation.
माता च पार्वती देवी पिता देवो महेश्वरः।
बान्धवाः शिवभक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम्॥१२॥
mātā ca pārvatī devī pitā devo maheśvaraḥ।
bāndhavāḥ śivabhaktāśca svadeśo bhuvanatrayam॥12॥
हे जननी! पार्वती देवी, मेरी माता, देवाधिदेव महेश्वर मेरे पिता, शिवभक्तगण मेरे बांधव और तीनों भुवन मेरा स्वदेश है।
My Mother is Goddess Parvati, My Father is God Shiva. my relatives are the devotees of God Shiva, my country is the universe (three worlds controlled by the supreme deities Shiva and Parvati).
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