Last Updated: 13th July, 2024
ब्रह्मास्त्ररुपिणी देवी माता श्रीबगलामुखी ।
चिच्छिक्तिर्ज्ञान-रुपा च ब्रह्मानन्द-प्रदायिनी ।। १ ।।
brahmāstrarupiṇī devī mātā śrībagalāmukhī ।
cicchiktirjñāna-rupā ca brahmānanda-pradāyinī ।। 1 ।।
ॐ आप ब्रह्मास्त्र के समान शक्तिशाली, देवी माता श्री बगलामुखी हैं जो चिच्छक्ति (चेतना शक्ति) और ज्ञान का रूप हैं जिनके आशीर्वाद से भक्तों को आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है। आप ब्रह्मानंद (अलौकिक आनंद) प्रदान करती हैं जिनके आशीर्वाद से आत्मिक शांति और आनंद की अनुभूति होती है।
Om You are as powerful as the Brahmastra, the Mother Goddess Shri Bagalamukhi who is the embodiment of Chichchakti (consciousness power) and knowledge by whose blessings the devotees attain spiritual knowledge. She bestows Brahmananda (supernatural bliss) whose blessings lead to a feeling of spiritual peace and joy.
महाविद्या महालक्ष्मी श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरी ।
भुवनेशी जगन्माता पार्वती सर्वमंगला ।। २ ।।
mahāvidyā mahālakṣmī śrīmattripurasundarī ।
bhuvaneśī jaganmātā pārvatī sarvamaṃgalā ।। 2 ।।
आप ही महाविद्या (दिव्य ज्ञान और शक्ति के उच्चतम स्वरूप), महालक्ष्मी (धन, समृद्धि, और कल्याण की देवी) और श्रीमत त्रिपुर्सुंदरी (सौंदर्य, ज्ञान, और पूर्णता की प्रतीक) हैं, भुवनेशी, जगत की माता हैं, पार्वती - सभी के लिए शुभ और मंगलकारी हैं।
You are Mahavidya (the highest form of divine knowledge and power), Mahalakshmi (the goddess of wealth, prosperity, and well-being) and Shrimat Tripursundari (the epitome of beauty, knowledge, and perfection), Bhuvaneshi, the mother of the world, Parvati – the embodiment of all. You are auspicious for all..
ललिता भैरवी शान्ता अन्नपूर्णा कुलेश्वरी ।
वाराही छीन्नमस्ता च तारा काली सरस्वती ।। ३ ।।
lalitā bhairavī śāntā annapūrṇā kuleśvarī ।
vārāhī chīnnamastā ca tārā kālī sarasvatī ।। 3 ।।
ललिता (अन्तर्मुखी रूप), भैरवी (क्रोध स्वरूपता), शांता (शांति स्वरूपता), अन्नपूर्णा (अन्न की देवी), कुलेश्वरी (कुल और परिवार की प्रभुता), वाराही (भगवान विष्णु की अवतारिणी), छिन्नमस्ता (भयानक रूप जो प्रत्येक समय प्रत्येक में अपने भक्तों के शत्रुओं को नष्ट करती हैं।), तारा (संग्रह, शक्ति, और शांति की देवी), काली (समय/काल की देवी), और सरस्वती (विद्या, कला, और संवेदनशीलता की देवी) आप ही हैं।
Lalita (introverted form), Bhairavi (anger form), Shanta (peace form), Annapurna (goddess of food), Kuleshwari (dominion of clan and family), Varahi (incarnation of Lord Vishnu), Chhinnamasta (terrible form which appears every time You are the one who destroys the enemies of your devotees.), Tara (goddess of collection, power, and peace), Kali (goddess of time), and Saraswati (goddess of learning, arts, and sensitivity).
जगत्पूज्या महामाया कामेशी भगमालिनी ।
दक्षपुत्री शिवांकस्था शिवरुपा शिवप्रिया ।। ४ ।।
jagatpūjyā mahāmāyā kāmeśī bhagamālinī ।
dakṣaputrī śivāṃkasthā śivarupā śivapriyā ।। 4 ।।
पूर्ण जगत द्वारा पूजे जानी वाली, महामाया, कामेशी (इच्छाओं और कामनाओं की अधिपति), भगमालिनी (समस्त सृष्टि की नियंत्रण करने वाली और सभी प्रकार के भोगों की देवी), दक्ष की पुत्री (देवी सती), शिवांकस्था (शिव की अर्धांगिनी), आप शिव का रूप हैं (शिव की आध्यात्मिक और दिव्य शक्ति ), शिव प्रिया हैं।
Worshiped by the entire world, Mahamaya, Kameshi (lord of desires and wishes), Bhagmalini (controller of the entire creation and goddess of all kinds of enjoyments), daughter of Daksha (Goddess Sati), Shivankastha (consort of Shiva), You are the form of Shiva (spiritual and divine power of Shiva), You are Shiva-Priya.
सर्व-सम्पत्करी देवी सर्वलोक वशंकरी ।
वेदविद्या महापूज्या भक्ताद्वेषी भयंकरी ।। ५ ।।
sarva-sampatkarī devī sarvaloka vaśaṃkarī ।
vedavidyā mahāpūjyā bhaktādveṣī bhayaṃkarī ।। 5 ।।
सभी को ऐश्वर्य, समृद्धियाँ देने वाली, सभी लोकों को वश में करने वाली, आप वेदों और विद्या की महान पूज्यनीय हैं (ज्ञान की देवी), और अपने भक्तों से द्वेष करने वालों (दुष्टों) के लिए भयंकर रूप धारण करती हैं।
The giver of opulence and prosperity to all, the one who subdues all the worlds, you are the great worshiper of the Vedas and Vidya (goddess of knowledge), and assume a terrible form for those who hate your devotees (evildoers).
स्तम्भ-रुपा स्तम्भिनी च दुष्टस्तम्भनकारिणी ।
भक्तप्रिया महाभोगा श्रीविद्या ललिताम्बिका ।। ६ ।।
stambha-rupā stambhinī ca duṣṭastambhanakāriṇī ।
bhaktapriyā mahābhogā śrīvidyā lalitāmbikā ।। 6 ।।
आप स्तंभरूपा (स्थिरता और अचलता का प्रतीक) हैं जो संकट के समय में अपने भक्तों को दृढ़ता प्रदान करती हैं। आप स्तंभित करने की शक्ति हैं जो दुष्टों की नकारात्मक शक्तियों और क्रियाओं को रोकने में सक्षम है। आप दुष्टों को स्तंभित करने की कारक हैं, भक्तों की प्रिय हैं, महा सुख प्रदान करती हैं, आप ही श्रीविद्या लक्ष्मी हैं और ललिताम्बिका हैं जो सौंदर्य, समृद्धि, और दिव्य ज्ञान की देवी हैं।
You are the pillar (symbol of stability and immovability) who provides strength to your devotees in times of crisis. You are the power to erect that is able to stop the negative forces and actions of the wicked. You are the destroyer of the wicked, beloved of the devotees, the giver of great happiness, you are Srividya Lakshmi and Lalitambika, the goddess of beauty, prosperity, and divine knowledge.
मैनापुत्री शिवानन्दा मातंगी भुवनेश्वरी ।
नारसिंही नरेन्द्रा च नृपाराध्या नरोत्तमा ।। ७ ।।
maināputrī śivānandā mātaṃgī bhuvaneśvarī ।
nārasiṃhī narendrā ca nṛpārādhyā narottamā ।। 7 ।।
मैना की पुत्री (देवी पार्वती) हैं, शिवानंद (शिव की आराध्या और जीवन संगिनी) हैं, मातंगी (ज्ञान, संगीत, और वाक् शक्ति की देवी), भुवनेश्वरी (संपूर्ण ब्रह्मांड और सृष्टि की अधिष्ठात्री देवी) हैं, नारसिंही (भगवान नृसिंह की शक्ति) और नरेंद्रा (दिव्य संरक्षण और शासन) हैं। आप नृपराध्या (राजाओं द्वारा पूजनीय), ‘नरोत्तमा’ (उत्कृष्ट मानवों में श्रेष्ठ, जो उनके दिव्य गुणों और आध्यात्मिक उत्कर्ष को संदर्भित करता है।) है।
You are the daughter of Maina (Goddess Parvati), Shivananda (worshipper and life partner of Shiva), Matangi (goddess of knowledge, music, and speech), Bhuvaneshwari (presiding goddess of the entire universe and creation), Narasimhi (Lord Nrisimha). power) and Narendra (divine protection and rule). You are Nriparadhya (revered by kings), ‘Narottama’ (best among exalted human beings, which refers to their divine qualities and spiritual exaltation.).
नागिनी नागपुत्री च नगराजसुता उमा ।
पीताम्बा पीतपुष्पा च पीतवस्त्रप्रिया शुभा ।। ८ ।।
nāginī nāgaputrī ca nagarājasutā umā ।
pītāmbā pītapuṣpā ca pītavastrapriyā śubhā ।। 8 ।।
आप नागिनी नाग की पुत्री हैं, नगराज (पर्वतराज हिमालय)) की पुत्री हैं जिनका नाम उमा है। आप पीले रंग के वस्त्र प्रिय हैं, आप को पीले पुष्प प्रिय हैं, आप शुभता और कल्याणकारी हैं।
You are the daughter of Nagini Naag, daughter of Nagaraj (Mountain King Himalaya) whose name is Uma. You love yellow clothes, you love yellow flowers, you are auspicious.
पीतगन्धप्रिया रामा पीतरत्नार्चिता शिवा ।
अर्द्धचन्द्रधरी देवी गदामुद्गरधारिणी ।। ९ ।।
pītagandhapriyā rāmā pītaratnārcitā śivā ।
arddhacandradharī devī gadāmudgaradhāriṇī ।। 9 ।।
आपको पीला चंदन प्रिय है, रामा (धर्म का पालन करने वाली) है, आप ही शिवा हैं जिन्हें पीले रत्न अर्चित किए जाते हैं। आप देवी ने अर्ध-चन्द्र (मुख) धारण किया है जो सौंदर्यपूर्ण और शान्त है, आपने गदा और मुद्गर धारण किया है।
You love yellow tilak, you are Rama (follower of religion), you are Shiva to whom yellow gems are offered. You goddess is wearing a half-moon (face) which is beautiful and peaceful, you are wearing a mace and a club.
सावित्री त्रिपदा शुद्धा सद्योराग विवर्धिनी ।
विष्णुरुपा जगन्मोहा ब्रह्मरुपा हरिप्रिया ।। १० ।।
sāvitrī tripadā śuddhā sadyorāga vivardhinī ।
viṣṇurupā jaganmohā brahmarupā haripriyā ।। 10 ।।
आप ही सावित्री हैं, त्रिपदा (गायत्री) हैं - जिनके तीन चरणों में सत्, रज, तम व्याप्त है, आप परम पवित्र हैं, आप सद्यों में ही रोगों को नष्ट करने वाली हैं और विवर्धन के साधने की देवी हैं।। आप ही विष्णु का रूप हैं जो जगत को मोह लेता हैं, आप ही ब्रह्म रूप हैं, हरि (सृष्टि के पालनकर्ता और जीवन के संरक्षक) को प्रिया हैं।
You are Savitri, Tripada (Gayatri) - in whose three feet Sat, Raja, Tama are prevalent, you are the most pure, you are the one who destroys diseases in the Sadya itself and is the goddess of development. You are the form of Vishnu who fascinates the world, you are the form of Brahma, dear to Hari (the sustainer of creation and preserver of life).
रुद्ररुपा रुद्रशक्तिश्चिन्मयी भक्तवत्सला ।
लोकमाता शिवा सन्ध्या शिवपूजनतत्परा ।। ११ ।।
rudrarupā rudraśaktiścinmayī bhaktavatsalā ।
lokamātā śivā sandhyā śivapūjanatatparā ।। 11 ।।
आप रुद्र का रूप हैं, आप ही रुद्र की चेतना और ज्ञान की शक्ति हैं, भक्तों को वात्सल्य देती हैं, समस्त लोक की माता हैं, संध्या काल की देवी हैं, जो भगवान शिव की पूजा के लिए सदैव तत्पर रहती हैं।
You are the form of Rudra, you are the power of Rudra's consciousness and knowledge, you give affection to the devotees, you are the mother of the entire world, you are the goddess of morning and evening, who is always ready to worship Lord Shiva.
धनाध्यक्षा धनेशी च नर्मदा धनदा धना ।
चण्डदर्पहरी देवी शुम्भासुरनिबर्हिणी ।। १२ ।।
dhanādhyakṣā dhaneśī ca narmadā dhanadā dhanā ।
caṇḍadarpaharī devī śumbhāsuranibarhiṇī ।। 12 ।।
आप धन की अध्यक्षा देवी हैं, धन की देवी लक्ष्मी हैं, धर्म और धन की दाता हैं, धन स्वयं आपका ही रूप है, आप ही चण्ड दर्प (घमंड) को हरने वाली देवी हैं, शुम्भासुर राक्षस का विनाश करने वाली देवी हैं।
You are the presiding deity of wealth, Lakshmi, the goddess of wealth, the giver of religion and wealth, wealth itself is your form, you are the goddess who defeats pride, you are the goddess who destroys the demon Shumbhasura.
राजराजेश्वरी देवी महिषासुरमर्दिनी ।
मधूकैटभहन्त्री देवी रक्तबीजविनाशिनी ।। १३ ।।
rājarājeśvarī devī mahiṣāsuramardinī ।
madhūkaiṭabhahantrī devī raktabījavināśinī ।। 13 ।।
आप राजराजेश्वरी हैं, आपने ही महिषासुर का संहार किया है, आपने मधु और कैटभ राक्षसों का संहार किया है। आपने ही रक्तबीज राक्षस का विनाश किया है।
You are Rajarajeshwari, you have killed Mahishasura, you have killed the demons Madhu and Kaitabh. It is you who has destroyed the demon Raktabeej.
धूम्राक्षदैत्यहन्त्री च भण्डासुर विनाशिनी ।
रेणुपुत्री महामाया भ्रामरी भ्रमराम्बिका ।। १४ ।।
dhūmrākṣadaityahantrī ca bhaṇḍāsura vināśinī ।
reṇuputrī mahāmāyā bhrāmarī bhramarāmbikā ।। 14 ।।
आपने ही धूम्राक्क्ष नामक दैत्य का अंत किया है, और भण्डासुर का विनाश किया है। आप रेणु की पुत्री हैं, महामाया हैं। अपने ही भ्रामरी, भ्रमरांबिका का रूप लिया हैं (जिससे आपने अरुणासुर का नाश किया था।)
You are the one who has destroyed the demon named Dhumraksh and destroyed Bhandasura. You are the daughter of Renu, Mahamaya. You have taken the form of your own Bhramari, Bhramarambika (with which you destroyed Arunasura.)
ज्वालामुखी भद्रकाली बगला शत्रुनाशिनी ।
इन्द्राणी इन्द्रपूज्या च गुहमाता गुणेश्वरी ।। १५ ।।
jvālāmukhī bhadrakālī bagalā śatrunāśinī ।
indrāṇī indrapūjyā ca guhamātā guṇeśvarī ।। 15 ।।
आप ही ज्वालामुखी, भद्रकाली (विनाशकारी शक्तियाँ), और बगला हैं जो शत्रुओं का नाश करती हैं। आप ही इंद्राणी हैं जिनकी पूआ इंद्र करते हैं, आप ही गुहमाता हैं, सर्वोच्च गुणों वाली गुणेश्वरी हैं।
You are the Jwalamukhi, Bhadrakali (destructive powers), and Bagala Devi who destroys the enemies. You are the Indrani whom Indra worships, you are the guhamata, Guneshwari with the highest qualities.
वज्रपाशधरा देवी ज्ह्वामुद्गरधारिणी ।
भक्तानन्दकरी देवी बगला परमेश्वरी ।। १६ ।।
vajrapāśadharā devī jhvāmudgaradhāriṇī ।
bhaktānandakarī devī bagalā parameśvarī ।। 16 ।।
आपने वज्र और पाश (फंदा) धारण कर रखा है, जिह्वा से मुद्गर (हथौड़ा) धारण करने वाली है। आप भक्तों को आनंद प्रदान करती हैं, आप बगला माता हैं, परमेश्वरी देवी हैं।
You are holding Vajra and Pash (noose), you are going to hold Mudgar (hammer) with your tongue. You provide happiness to the devotees, you are Bagala Mata, the Supreme Goddess.
अष्टोत्तरशतं नाम्नां बगलायास्तु यः पठेत् ।
रिपुबाधाविनिर्मुक्तः लक्ष्मीस्थैर्यमवाप्नुयात् ।। १७ ।।
aṣṭottaraśataṃ nāmnāṃ bagalāyāstu yaḥ paṭhet ।
ripubādhāvinirmuktaḥ lakṣmīsthairyamavāpnuyāt ।। 17 ।।
अष्टोत्तरशतं नाम्नां शब्द का अर्थ है “108 नाम।” अष्टोत्तरशत शब्द ‘अष्ट’ (आठ) + ‘उत्तर’ (बाद में) + ‘शत’ (सौ) से बना है, जो मिलकर 108 बनता है। ‘रिपु’ का अर्थ है ‘शत्रु’ और ‘बाधा’ का अर्थ है ‘बाधा’। ‘विनिर्मुक्तः’ का अर्थ है ‘मुक्त हो जाना’। इसलिए, यह भाग बताता है कि जो साधक बगलामुखी के 108 नामों का पाठ करता है, वह शत्रुओं की बाधाओं से मुक्त हो जाता है। ‘लक्ष्मी’ का अर्थ है ‘धन और समृद्धि’, और ‘स्थैर्य’ का अर्थ है ‘स्थायित्व’। ‘अवाप्नुयात्’ का अर्थ है ‘प्राप्त करना’। इस प्रकार, यह भाग बताता है कि साधक को स्थायी धन और समृद्धि प्राप्त होती है।
The seeker who recites 108 names of Baglamukhi becomes free from the obstacles of enemies. The seeker attains permanent wealth and prosperity.
भूतप्रेतपिशाचाश्च ग्रहपीड़ानिवारणम् ।
राजानो वशमायांति सर्वैश्वर्यं च विन्दति ।। १८ ।।
bhūtapretapiśācāśca grahapīḍa़ānivāraṇam ।
rājāno vaśamāyāṃti sarvaiśvaryaṃ ca vindati ।। 18 ।।
इस पाठ से भूत, प्रेत, पिशाच और ग्रहों की पीड़ा से रक्षा होती है, यानी नकारात्मक ऊर्जा और ग्रहों के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है। पाठ करने वाला राजाओं या उच्च अधिकारियों को अपने वश में कर लेता है और सभी प्रकार की ऐश्वर्य (समृद्धि) प्राप्त करता है।
This recitation provides protection from ghosts, spirits, vampires and planetary afflictions, that is, one gets freedom from negative energy and ill effects of planets. The reciter brings kings or high officials under his control and attains all kinds of opulence.
नानाविद्यां च लभते राज्यं प्राप्नोति निश्चितम् ।
भुक्तिमुक्तिमवाप्नोति साक्षात् शिवसमो भवेत् ।। १९ ।।
nānāvidyāṃ ca labhate rājyaṃ prāpnoti niścitam ।
bhuktimuktimavāpnoti sākṣāt śivasamo bhavet ।। 19 ।।
इससे विभिन्न प्रकार की विद्याएँ प्राप्त होती हैं और राज्य (शासन या महत्वपूर्ण पद) की प्राप्ति निश्चित होती है। पाठ करने वाला भौतिक सुखों का भोग और मोक्ष (आत्मिक मुक्ति) दोनों प्राप्त करता है, और भगवान शिव के समान बन जाता है।
Through this, various types of knowledge are obtained and attainment of kingdom (rule or important post) is certain. The reciter attains both the enjoyment of material pleasures and moksha (spiritual liberation), and becomes equal to Lord Shiva.
।। इति श्री रुद्रयामले सर्व-सिद्धि-प्रद बगलाऽष्टोत्तर-शतनाम-स्तोत्र ।।
।। iti śrī rudrayāmale sarva-siddhi-prada bagalā'ṣṭottara-śatanāma-stotra ।।
यह श्री रुद्र यमाला में सर्वव्यापी बगला अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र है।
This is the all-pervading Bagala Ashtottara Shatanaama Stotra in Sri Rudra Yamala.
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