बगला शब्द संस्कृत भाषा के “वल्गा” से लिया गया है, जिसका हिंदी मैं अर्थ होता है दुलहन। अत: मां बगलामुखी के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त हुआ है। मां बगलामुखी जी को आठवीं महाविद्या भी कहा जाता है। इनका संसार में प्रकट होने का स्थल गुजरात में सौराष्ट्र क्षेत्र को माना जाता है। मां बगलामुखी हल्दी रंग के जल से प्रकट हुई थी हल्दी का रंग पीला होने की वजह से इन्हें पीताम्बरा देवी भी कहा जाता है। मां को पीले रंग अत्यधिक प्रिय हैं इसलिए जो भी जातक उनकी पूजा आराधना करता है या साधना करता है उसे पीले वस्त्र (बिना सिले) धारण करना चाहिए। बीज मंत्र का जप करते समय हल्दी की माला का उपयोग करें और मां बगलामुखी यंत्र और उनके चित्र या कोई मूर्ति अपने सामने अवश्य रखें और एक घी या सरसों के तेल का दीपक अवश्य जलाएं। दीपक की बाती को हल्दी या पीले रंग में लपेट कर सुखा लें। पीले कनेर के फूलों का विशेष विधान है। देवी की पूजा तथा होम में पीले पुष्पों का प्रयोग करना चाहिए। जप आसन पर पूर्वाभिमुख बैठकर करना चाहिए। जप से पूर्व आसन शुद्धि, भूशुद्धि, भूतशुद्धि, अंग न्यास, करन्यास आदि करने चाहिए तथा प्रतिदिन जप के अंत मे दशांश होम पीले पुष्पों से अवश्य करना चाहिए। मां बगलामुखी के बीज मंत्र को एकाक्षर मंत्र भी कहा जाता है क्योंकि यह मंत्र मात्र एक अक्षर का है “ह्रीं”। मां बगलामुखी की कोई भी साधना इसी “ह्रीं” बीज मंत्र से प्रारंभ होती। बगलामुखी बीज मंत्र महाविद्या की उपासना रात्रि काल (रात्रि के 10 से प्रात: 4 बजे के बीच) में करने से हर प्रकार की विशेष सिद्धि साधक को प्राप्ति होती है। इनके भैरव महाकाल हैं। बगलामुखी बीज मंत्र के शुद्ध और भावपूर्ण उच्चारण से शत्रु को शांत किया जा सकता है, मुकदमा भी जीत सकते है, आधिदैविक और आधिभौतिक समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है, बंधनों से मुक्ति मिल सकती है। इस साधना से कोई भी अपने व्यक्तित्व को प्रभावशाली बना सकता है।
Last Updated: 8th November, 2022
(विनियोग)
श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।
त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:।
ॐ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:।
(viniyoga)
śrī brahmāstra-vidyā bagalāmukhyā nārada ṛṣaye nama: śirasi।
triṣṭup chandase namo mukhe। śrī bagalāmukhī daivatāyai namo hradaye।
hrīṃ bījāya namo guhye। svāhā śaktaye nama: pādyo:।
oṃ nama: sarvāṃgaṃ śrī bagalāmukhī devatā prasāda siddhayartha nyāse viniyoga:।
(आवाहन)
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा।
(āvāhana)
oṃ aiṃ hrīṃ śrīṃ bagalāmukhī sarvadṛṣṭānāṃ mukhaṃ stambhini sakala manohāriṇī ambike ihāgaccha sannidhi kurū sarvārtha sādhaya sādhaya svāhā।
(ध्यान)
सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम्
हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम्
हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै
व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत्।
(dhyāna)
sauvarṇāmanasaṃsthitāṃ trinayanāṃ pītāṃśukollasinīm
hemāvāṃgarūci śaśāṃka mukuṭāṃ saccampakasragyutām
hastairmuda़gara pāśavajrarasanā sambi bhrati bhūṣaṇai
vyāptāṃgī bagalāmukhī trijagatāṃ sastambhinau cintayet।
(मंत्र)
ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानाम वाचं मुखम पदम् स्तम्भय।
जिव्हां कीलय बुद्धिम विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा।।
(maṃtra)
oṃ hrīṃ bagalāmukhī sarva duṣṭānāma vācaṃ mukhama padam stambhaya।
jivhāṃ kīlaya buddhima vināśaya hrīṃ oṃ svāhā।।
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