पूजा भगवान की आराधना का एक विधान है जिसे परंपरा और शास्त्रों के अनुसार पूरा करने का प्रयास किया जाता है। लेकिन जाने-अनजाने हम से कोई न कोई भूल हो जाती है। क्षमायाचना इसी भूल को सुधारती है। जब हम अपनी गलतियों के लिए भगवान से क्षमा मांगते हैं, तभी पूजा पूर्ण होती है। क्षमा सबसे बड़ा भाव है जो हमारे अहंकार को मिटाता है।
Last Updated: 8th November, 2022
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि।।
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि।
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे।।
āvāhanaṃ na jānāmi na jānāmi visarjanam।
pūjāṃ caiva na jānāmi kṣamyatāṃ parameśvari।।
maṃtrahīnaṃ kriyāhīnaṃ bhaktihīnaṃ sureśvari।
yatpūjitaṃ mayā devi paripūrṇaṃ tadastu me।।
हे देवी। न मैं आपको बुलाना जानता हूं और न विदा करना। पूजा करना भी नहीं जानता। कृपा करके मुझे क्षमा करें। मुझे न मंत्र याद है और न ही क्रिया। मैं भक्ति करना भी नहीं जानता। यथा संभव पूजा कर रहा हूं, कृपया भूल क्षमा कर इस पूजा को पूर्णता प्रदान करें।
O goddess, I don't know how to call you or send you off. I don't even know how to worship. Please forgive me. I remember neither the mantra nor the action. I don't even know how to do devotion. I am worshiping as much as possible, please forgive the mistake and give completeness to this worship.
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