Last Updated: 27th October, 2022
ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पुर्णमुदच्यते
पूर्णश्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
oṃ pūrṇamadaḥ pūrṇamidaṃ pūrṇātpurṇamudacyate
pūrṇaśya pūrṇamādāya pūrṇamevāvaśiṣyate॥
oṃ śāntiḥ śāntiḥ śāntiḥ॥
ओम्! वह अनंत है, और यह (ब्रह्मांड) अनंत है। अनंत से अनंत की प्राप्ति होती है। (तब) अनंत (ब्रह्मांड) की अनंतता लेते हुए, वह अनंत के रूप में अकेला रहता है। ओम्! शांति! शांति! शांति!
Om! That is the whole. This is the whole. From wholeness emerges wholeness. Wholeness coming from wholeness, wholeness still remains.
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