Last Updated: 27th October, 2022
ॐ सह नाववतु। सह नौ भुनक्तु।
सह वीर्यं करवावहै।
तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै॥
ॐ शांति, शांति, शांतिः
oṃ saha nāvavatu। saha nau bhunaktu।
saha vīryaṃ karavāvahai।
tejasvināvadhītamastu mā vidviṣāvahai॥
oṃ śāṃti, śāṃti, śāṃtiḥ
परमेश्वर हम शिष्य और आचार्य दोनों की साथ-साथ रक्षा करें। हम दोनों को साथ-साथ विद्या के फल का भोग कराए। हम दोनों एकसाथ मिलकर विद्या प्राप्ति का सामर्थ्य प्राप्त करें। हम दोनों का पढ़ा हुआ तेजस्वी हो। हम दोनों परस्पर द्वेष न करें। उक्त तरह की भावना रखने वाले का मन निर्मल रहता है। निर्मल मन से निर्मल भविष्य का उदय होता है।
May God protect both us disciple and teacher together. Let us both enjoy the fruits of learning together. Let us together get the power to attain education. May the study of both of us be brilliant. Let us not envy each other. The mind of the person having this kind of feeling remains pure. From a pure mind a pure future emerges.
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