भारतीय संस्कृति में न केवल जन्म से मृत्यु तक बल्कि दिन के प्रारम्भ से लेकर अंत तक की भी महत्वपूर्ण एवं सुन्दर प्रार्थनाओं का समावेश किया गया है। सम्पूर्ण प्रातः स्मरण, जो कि दैनिक उपासना से उदधृत है, आप सभी इसे अपने जीवन में उतारें एवं अपने अनुजो को भी इससे अवगत कराएं।
Last Updated: 22nd April, 2023
(लक्ष्मी-सरस्वती-भगवान नारायण प्रार्थना मन्त्र)
कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती।
कर मूले तु गोविन्द: प्रभाते करदर्शनम ॥१॥
(lakṣmī-sarasvatī-bhagavāna nārāyaṇa prārthanā mantra)
karāgre vasate lakṣmī: karamadhye sarasvatī।
kara mūle tu govinda: prabhāte karadarśanama ॥1॥
(प्रातःकाल उठतेे ही अपने दोनों हाथों को आपस में रगड़े तत्पश्चात अपने हाथों का दर्शन करते हुए इस श्लोक को दोहरायें)
हाथ (पुरुषार्थ का प्रतीक) के अग्र भाग में धन की देवी लक्ष्मी, मध्य में विद्या की देवी सरस्वती तथा मूल में गोविन्द (परमात्मा श्री कृष्ण) का वास होता है। प्रातः काल में (पुरुषार्थ के प्रतीक) हाथों का दर्शन करें ॥१॥
(Rub your hands together as soon as you get up in the morning and then repeat this verse while seeing your hands)
Lakshmi resides at the tip of my hand, Saraswati in the middle of my hand, Govinda at the root of my hand, I see my hand in the morning.
(पृथ्वी क्षमा प्रार्थना)
समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डले।
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्वमे॥२॥
(pṛthvī kṣamā prārthanā)
samudravasane devi parvatastanamaṇḍale।
viṣṇupatni namastubhyaṃ pādasparśaṃ kṣamasvame॥2॥
(भूमि पर चरण रखते समय जरूर स्मरण करें..)
समुद्ररूपी वस्त्रोवाली, जिसने पर्वतों को धारण किया हुआ है और विष्णु भगवान की पत्नी हैं, पृथ्वी देवी, तुम्हे नमस्कार करता हूँ, तुम्हे मेरे पैरों का स्पर्श होता है इसलिए क्षमायाचना करता हूँ।
(Remember when you step on the ground..)
O goddess dressed in the ocean, whose breasts are orbited by mountains, wife of Lord Viṣṇu, I offer my respectful obeisances unto you. Please forgive the touch of your feet.
(त्रिदेवों के साथ नवग्रह स्मरण)
ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी
भानुः शशीभूमिसुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्रः शनिराहुकेतवः
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥३॥
(tridevoṃ ke sātha navagraha smaraṇa)
brahmā murāristripurāntakārī
bhānuḥ śaśībhūmisuto budhaśca।
guruśca śukraḥ śanirāhuketavaḥ
kurvantu sarve mama suprabhātam ॥3॥
तीनों देवता ब्रह्मा, विष्णु (राक्षस मुरा के दुश्मन) एवं महेश (त्रिपुरासुर का अंत करने वाले) तथा सूर्य (भानु), चंद्रमा ( शशि), मंगल (बुमीसुता), बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु एवं केतु यह सभी ग्रह एवं सभी देव मेरे प्रभात को शुभ एवं मंगलमय करें।
The three gods Brahma, Vishnu (the enemy of the demon Mura) and Mahesh (the destroyer of Tripurasura) and the Sun (Bhanu), Moon ( Shashi), Mars (Bumisuta), Mercury, Jupiter, Venus, Saturn, Rahu and Ketu, May all these planets and all the gods make my morning auspicious and happy.
(सप्त ऋषि-सप्त रसातल-सप्त स्वर प्रार्थना मन्त्र)
सनत्कुमार: सनक: सन्दन:
सनात्नोप्याsसुरिपिंलग्लौ च ।
सप्त स्वरा: सप्त रसातलनि
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम ॥४॥
(sapta ṛṣi-sapta rasātala-sapta svara prārthanā mantra)
sanatkumāra: sanaka: sandana:
sanātnopyāssuripiṃlaglau ca ।
sapta svarā: sapta rasātalani
kurvantu sarve mama suprabhātama ॥4॥
ब्रह्मा के मानसपुत्र बाल ऋषि - सनत्कुमार, सनक, सनंदन, सनातन, सांख्य-दर्शन के प्रर्वतक कपिल मुनि के शिष्य - आसुरि और छन्दों का ज्ञान कराने वाले मुनि पिंगल- ये ऋषिगण; षड्ज, ऋषभ, गान्धार, मध्यम, पञ्चम, धैवत तथा निषाद- ये सप्त स्वर; अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल तथा पाताल- ये सात अधोलोक (पृथ्वी से नीचे स्थित); सभी मेरे प्रात:काल को मंगलमय करें।
Sanatkumara, Sanaka, Sanandana, Sanatan, Asura and Pingala- these sages; Shadja, Rishabha, Gandhara, Madhyama, Pancham, Dhaivata and Nishada - the seven notes; Atal, Vital, Sutal, Talatal, Mahatal, Rasatal and Patal- the seven underworlds; May all bless my morning.
(सप्त समुद्र-सप्त पर्वत-सप्त ऋषि-सप्त द्वीप-सप्त वन-सप्त भूवन प्रार्थना मन्त्र)
सप्तार्णवा सप्त कुलाचलाश्च
सप्तर्षयो द्वीपवनानि सप्त।
भूरादिकृत्वा भुवनानि सप्त
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्।।५।।
(sapta samudra-sapta parvata-sapta ṛṣi-sapta dvīpa-sapta vana-sapta bhūvana prārthanā mantra)
saptārṇavā sapta kulācalāśca
saptarṣayo dvīpavanāni sapta।
bhūrādikṛtvā bhuvanāni sapta
kurvantu sarve mama suprabhātam।।5।।
सप्त समुद्र (अर्थात भूमण्डल के लवणाब्धि, इक्षुसागर, सुरार्णव, आज्यसागर, दधिसमुद्र, क्षीरसागर और स्वादुजल रूपी सातों सलिल-तत्व), सप्त पर्वत (महेन्द्र, मलय, सह्याद्रि, शुक्तिमान्, ऋक्षवान, विन्ध्य और पारियात्र), सप्त ऋषि (कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, गौतम, जमदग्नि, वशिष्ठ, और विश्वामित्र), सातों द्वीप (जम्बू, प्लक्ष, शाल्मली, कुश, क्रौच, शाक, और पुष्कर), सातों वन (दण्डकारण्य, खण्डकारण्य, चम्पकारण्य, वेदारण्य, नैमिषारण्य, ब्रह्मारण्य और धर्मारण्य), भूलोक आदि सातों भूवन (भूः, भुवः, स्वः, महः, जनः, तपः, और सत्य) सभी मेरे प्रभात को मंगलमय करें।
The seven seas (i.e. the seven water elements of the globe in the form of the Salt Sea, the Sugarcane Sea, the Surarnava, the Ajyasagar, the Dadhisamudra, the Kshirasagar and the Sweet Water), The seven mountains (Mahendra, Malaya, Sahyadri, Shuktiman, Rikshavan, Vindhya and Pariyatra), The seven sages (Kashyapa, Atri, Bharadwaja, Gautama, Jamadagni, Vasishta, and Vishvamitra), The Seven Islands (Jambu, Plaksha, Shalmali, Kush, Crouch, Shak, and Pushkar), The seven forests (Dandakaranya, Khandakaranya, Champakaranya, Vedaranya, Naimisharanya, Brahmaranya and Dharmaranya), Bhuloka and other seven worlds (Bhuh, Bhuvah, Svah, Mahah, Janah, Tapah, and Satya), May all bless my morning.
(पंच-तत्व प्रार्थना मन्त्र)
पृथ्वी सगन्धा सरसास्तथापः
स्पर्शी च वायुज्र्वलनं च तेजः।
नभः सशब्दं महता सहैव
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्।।६।।
(paṃca-tatva prārthanā mantra)
pṛthvī sagandhā sarasāstathāpaḥ
sparśī ca vāyujrvalanaṃ ca tejaḥ।
nabhaḥ saśabdaṃ mahatā sahaiva
kurvantu sarve mama suprabhātam।।6।।
अपने गुणरूपी गंध से युक्त पृथ्वी, रस से युक्त जल, स्पर्श से युक्त वायु, ज्वलनशील तेज, तथा शब्द रूपी गुण से युक्त आकाश महत् तत्व बुद्धि के साथ मेरे प्रभात को मंगलमय करें अर्थात पांचों बुद्धि-तत्व कल्याण हों।
May the earth with its smell of its qualities, the water with its taste, the air with its touch, the flaming light, and the sky with its qualities of sound brighten my morning with the great element intelligence, that is, may the five intelligence elements be well.
प्रातः स्मरणमेतद्यो विदित्वादरतः पठेत्।
स सम्यक्धर्मनिष्ठः स्यात् अखण्डं भारतं स्मरेत् ॥७॥
prātaḥ smaraṇametadyo viditvādarataḥ paṭhet।
sa samyakdharmaniṣṭhaḥ syāt akhaṇḍaṃ bhārataṃ smaret ॥7॥
अपने गुणरूपी गंध से युक्त पृथ्वी, रस से युक्त जल, स्पर्श से युक्त वायु, ज्वलनशील तेज, तथा शब्द रूपी गुण से युक्त आकाश महत् तत्व बुद्धि के साथ मेरे प्रभात को मंगलमय करें अर्थात पांचों बुद्धि-तत्व कल्याण हों।
He who knows this morning remembrance and recites it with reverence becomes perfectly devoted to righteousness and remembers the unbroken Bharata.
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