Monday, 23rd December, 2024

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
One has a right only over the duties or work and not its fruits or results, one should not be attached to inaction either, not consider oneself as the one causing the results of the actions.

shri vishnu shodasha nama stotra

श्री विष्णु षोडश नाम स्तोत्र

(हिंदी में अर्थ एवं व्याख्या सहित)

śrī viṣṇu ṣoḍaśa nāma stotra | shri vishnu shodasha nama stotra

(With meaning and explanation in English)

Last Updated: 7th November, 2022

औषधे चिंतये विष्णुम भोजने च जनार्धनम
शयने पद्मनाभं च विवाहे च प्रजापतिम
युद्धे चक्रधरम देवं प्रवासे च त्रिविक्रमं
नारायणं तनु त्यागे श्रीधरं प्रिय संगमे
दुःस्वप्ने स्मर गोविन्दम संकटे मधुसूधनम
कानने नारासिम्हम च पावके जलाशयिनाम
जलमध्ये वराहम च पर्वते रघु नन्दनं
गमने वामनं चैव सर्व कार्येशु माधवं
षोडशैतानी नमानी प्रातरुत्थाय यह पठेत
सर्वपापा विर्निमुक्तो विष्णुलोके महीयते
इति विष्णो षोडशनाम स्तोत्रं सम्पूर्णं

auṣadhe ciṃtaye viṣṇuma bhojane ca janārdhanama
śayane padmanābhaṃ ca vivāhe ca prajāpatima
yuddhe cakradharama devaṃ pravāse ca trivikramaṃ
nārāyaṇaṃ tanu tyāge śrīdharaṃ priya saṃgame
duḥsvapne smara govindama saṃkaṭe madhusūdhanama
kānane nārāsimhama ca pāvake jalāśayināma
jalamadhye varāhama ca parvate raghu nandanaṃ
gamane vāmanaṃ caiva sarva kāryeśu mādhavaṃ
ṣoḍaśaitānī namānī prātarutthāya yaha paṭheta
sarvapāpā virnimukto viṣṇuloke mahīyate
iti viṣṇo ṣoḍaśanāma stotraṃ sampūrṇaṃ

ओषधि ग्रहण करते समय उसे विष्णु समझें, भोजन ग्रहण करने के समय जनार्दन के रूप में, शयन में पद्मनाभ के रूप में, विवाह के समय प्रजापति के रूप में, युद्ध में लगे रहने के दौरान चक्रधारी के रूप में, यात्रा के दौरान त्रिविक्रम के रूप में, मृत्यु शैया पर नारायण के रूप में, प्रिय के साथ मिलते समय श्रीधर, बुरे सपनों के साथ गोविंदा की तरह, मुसीबत में होते हुए मधुसूदन की भाँति, जंगल में रहते हुए नरसिंह के रूप में, आग के दौरान जल शयन के रूप में, पानी के मध्य में वराह के रूप में, जंगल में खो जाने पर रघु नंदन के रूप में, विचरण के दौरान कदम के रूप में, समस्त कार्य करते समय माधव के रूप में श्री विष्णु जी का चिंतन करो। प्रातः काल उठने पर जो कोई इन सोलह नामों को पढता है, सुमिरन करता है। वह समस्त पापों से मुक्त हो जाता है और आखिर में श्री विष्णु जी तक पहुँच जाता है।

While taking medicine when the body is suffering from disease, meditate on Lord Vishnu. While taking food, pay attention to his Janardhan form. Meditate on his Padmanabha form while sleeping. At the time of marriage, meditate on his Prajapati form. While going to war, meditate on his Chakradhari form and while traveling, meditate on his Trivikram form. At the time of death meditate on his Narayan form. at the time of love meditate on his Sridhar form.

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