Monday, 23rd December, 2024

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
One has a right only over the duties or work and not its fruits or results, one should not be attached to inaction either, not consider oneself as the one causing the results of the actions.

shrivishnu stuti

श्रीविष्णु स्तुति

(हिंदी में अर्थ एवं व्याख्या सहित)

śrīviṣṇu stuti | shrivishnu stuti

(With meaning and explanation in English)

Last Updated: 7th November, 2022

शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम्।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये।।

śuklāmbaradharaṃ viṣṇuṃ śaśivarṇaṃ caturbhujam।
prasannavadanaṃ dhyāyet sarvavighnopaśāntaye।।

हम भगवान श्री विष्णु का ध्यान करते हैं जो सफ़ेद वस्त्र धारण किये गए हैं, जो सर्वव्यापी हैं, जो चंद्रमा की भांति प्रकाशवान और चमकीलें हैं, जिसके चार हाथ हैं, जिनका चेहरा सदा करुणा से भरा हुआ और तेजमय है, जो समस्त बाधाओं से रक्षा करते हैं।

We meditate on Lord Vishnu who is dressed in white clothes, who is omnipresent, who is luminous and shining like the moon, who has four hands, whose face is always full of compassion and radiant, who protects from all obstacles.

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।

śāntākāraṃ bhujagaśayanaṃ padmanābhaṃ sureśaṃ
viśvādhāraṃ gaganasadṛśaṃ meghavarṇaṃ śubhāṅgam।
lakṣmīkāntaṃ kamalanayanaṃ yogibhirdhyānagamyaṃ
vande viṣṇu bhavabhayaharaṃ sarvalokaikanātham।।

जिनकी आकृति अतिशय शांत है, जो शेषनाग की शैया पर शयन किए हुए हैं, जिनकी नाभि में कमल है, जो ‍देवताओं के भी ईश्वर और संपूर्ण जगत के आधार हैं, जो आकाश के सदृश सर्वत्र व्याप्त हैं, नीलमेघ के समान जिनका वर्ण है, जिनके संपूर्ण अंग अतिशय सुंदर हैं, जो योगियों द्वारा ध्यान करके प्राप्त किए जाते हैं, जो संपूर्ण लोकों के स्वामी हैं, जो जन्म-मरण, रूप, भय का नाश करने वाले हैं, ऐसे लक्ष्मीपति, कमलनेत्र भगवान श्रीविष्णु को मैं प्रणाम करता हूँ।

Salutations to Sri Vishnu, Who has a Serene Appearance, Who Rests on a Serpent (Adisesha), Who has a Lotus on His Navel and Who is the Lord of the Devas, Who Sustains the Universe, Who is Boundless and Infinite like the Sky, Whose Colour is like the Cloud (Bluish) and Who has a Beautiful and Auspicious Body, Who is the Husband of Devi Lakshmi, Whose Eyes are like Lotus and Who is Attainable to the Yogis by Meditation, Salutations to That Vishnu Who Removes the Fear of Worldly Existence and Who is the Lord of All the Lokas.

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

maṅgalam bhagavāna viṣṇuḥ, maṅgalam garuṇadhvajaḥ।
maṅgalam puṇḍarī kākṣaḥ, maṅgalāya tano hariḥ॥

भगवान विष्णु का मंगल हो, जिनके ध्वज में गरुड़ हैं उसका मंगलमय हो, जिनके कमल जैसे नेत्र हैं उसका मंगलमय हो, ऐसे प्रभु हरि का मंगलमय हो।

All auspiciousness to Lord Vishnu, all auspiciousness to one who has Garuda as His flag. All auspiciousness to One who has eyes like the lotus flowers, and auspiciousness to Hari.

यं ब्रह्मा वरुणेन्द्ररुद्रमरुत: स्तुन्वन्ति दिव्यै: स्तवै-
र्वेदै: साङ्गपदक्रमोपनिषदैर्गायन्ति यं सामगा:।
ध्यानावस्थिततद्गतेन मनसा पश्यन्ति यं योगिनो-
यस्तानं न विदु: सुरासुरगणा देवाय तस्मै नम:।।

yaṃ brahmā varuṇendrarudramaruta: stunvanti divyai: stavai-
rvedai: sāṅgapadakramopaniṣadairgāyanti yaṃ sāmagā:।
dhyānāvasthitatadgatena manasā paśyanti yaṃ yogino-
yastānaṃ na vidu: surāsuragaṇā devāya tasmai nama:।।

ब्रह्मा, वरुण, इन्द्र, रुद्र और मरुद्‍गण दिव्य स्तोत्रों द्वारा जिनकी स्तुति करते हैं, सामवेद के गाने वाले अंग, पद, क्रम और उपनिषदों के सहित वेदों द्वारा जिनका गान करते हैं, योगीजन ध्यान में स्थित तद्‍गत हुए मन से जिनका दर्शन करते हैं, देवता और असुर गण (कोई भी) जिनके अन्त को नहीं जानते, उन (परमपुरुष नारायण) देव के लिए मेरा नमस्कार है।

Sūta Gosvāmī said: Unto that personality whom Brahmā, Varuṇa, Indra, Rudra and the Maruts praise by chanting transcendental hymns and reciting the Vedas with all their corollaries, pada-kramas and Upaniṣads, to whom the chanters of the Sāma Veda always sing, whom the perfected yogīs see within their minds after fixing themselves in trance and absorbing themselves within Him, and whose limit can never be found by any demigod or demon — unto that Supreme Personality of Godhead I offer my humble obeisances.

त्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणम् त्वमेव त्वमेव सर्वम् मम देव देव॥

tvameva mātā ca pitā tvameva tvameva bandhuśca sakhā tvameva।
tvameva vidyā draviṇam tvameva tvameva sarvam mama deva deva॥

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